Entry ban: बता दें कि 31 जुलाई को हुई नूह हिंसा के बाद रेवाड़ी और महेद्रगढ़ जिले के कुछ गाँवों की पंचायतों के लैटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे। जिन पत्र में साफ तौर पर एक समुदाय विशेष पर गाँव में एंट्री बैन करने का फरमान जारी किया हुआ था। पंचायतों द्वारा जारी किए गए लैटर में कहा गया था कि गाँव में आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए एक समुदाय विशेष और संदिग्ध की एंट्री नहीं होने दी जाएगी। ये लैटर कई जगह एसडीएम और सबन्धित थाना प्रभारियों को दिया गया था।
जैसे ही ये मामला सामना आया तो रेवाड़ी जिला उपायुक्त और रेवाड़ी पुलिस की तरफ से बयान जारी करके कहा गया था कि किसी समुदाय विशेष की गाँव में एंट्री बैन नहीं की जा सकती है। ऐसा फरमान जारी करने वाले लोगों के खिलाफ पंचायती एक्ट और पुलिस की तरफ से कार्रवाई करने की बात कहीं गई थी। जिसके बाद अब केस दर्ज करने की कार्रवाई भी शुरू की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक जिले के खोल थाना में गाँव चिमनावास, आलियावास, नांगल मून्दी, मनेठी, मंदौला, और बास के सरपंच सहित कुछ ग्रामीणों पर केस दर्ज किया गया है। इसके साथ ही कोसली थाना पुलिस ने टूमना, कांहड़वास, बाववा और नठेडा के सरपंच व पंच के अलावा भाकली-2 के पंच के खिलाफ केस दर्ज किया है। इन गाँवों की पंचायतों के लैटर पैड पर समुदाय विशेष के लोगों की एंट्री और किसी भी तरह का व्यापार करने पर बैन करने के पत्र वायरल हुये थे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नफरती भाषण देने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुँच गया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि नूह हिंसा के बाद नफरती बयानबाजी की जा रही है। आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक इस याचिका पर सुनवाई करते हुये कोर्ट ने कहा है कि नफरती भाषण बिल्कुल मंजूर नहीं किये जा सकते है। इसलिए पुलिस जांच करके कार्रवाई करें।