मुख्यमंत्री मनोहर लाल, जो वित्त मंत्री भी हैं, ने आज हरियाणा (Haryana) विधानसभा के बजट सत्र में अमृत काल में हरियाणा का पहला बजट प्रस्तुत (budget submission) किया। मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्री के नाते हरियाणा (Haryana) के इतिहास का आज तक का सबसे बड़ा बजट पेश करते हुए वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 1,83,950 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत (budget submission) किया। बजट में सभी वर्गों का ख्याल रखा गया और बजट में कोई नया कर भी नहीं लगाया गया। आइए जानते है इस बजट मे क्या रहा खास ….
मनोहर लाल ने बजट प्रस्तुत (budget submission) करते हुए वृद्धावस्था पेंशन में 2,750 रुपये प्रतिमाह करने की घोषणा की। साथ ही, उन्होंने वृद्धावस्था पेंशन पात्रता आय 2 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने की घोषणा की। सरकारी आई.टी.आई. में प्रवेश लेने वाली 3 लाख रुपये वार्षिक से कम पारिवारिक आय वाली हर लड़की को 2,500 रुपये वित्तीय सहायता दी जाएगी। सरकार ने बजट में हरियाणा परिवार सुरक्षा न्यास की स्थापना होगी।
अंत्योदय परिवारों के लिए 1 लाख घर, चिरायु-आयुष्मान भारत योजना का लाभ 6 लाख रुपये वार्षिक तक आय वाले परिवारों को भी प्रदान करने, लैंड पूलिंग, लैंड पार्टनरशिप और ई-भूमि के माध्यम से 10 औद्योगिक सेक्टर और 10 शहरों में आवासीय सेक्टर को विकसित करने और नगरों में नवीनीकरण शुल्क के बकाया ब्याज राशि पर छूट योजना सहित कई नये आयाम जोड़े हैं।
उन्होंने कहा कि बजट सभी के लिए कल्याणकारी है। अब पत्रकारों को कैशलेस मेडिकल सुविधा मिलेगी। चोटिल खिलाड़ियों के पोषण व पुर्नवास के लिए राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक खेल प्रशिक्षण और पुनर्वास केंद्र बनाये जाएंगे। आंगनवाड़ी वर्कर्स व चौकीदारों को भी चिरायु योजना का लाभ मिलेगा। इसके साथ-साथ प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया गया है। सब बच्चों को शिक्षा मिले, इसके लिए 6 से 18 वर्ष के हर बच्चे की मैपिंग की जाएगी।
बजट में नहीं लगाया गया कोई नया कर
मनोहर लाल ने बजट प्रस्तुत (budget submission) करते हुए कहा कि वर्ष 2023-24 का बजट संशोधित अनुमान वर्ष 2022-23 के 1,64,808 करोड़ रुपये से 11.6 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि उनका सौभाग्य है कि उन्हें अमृत काल का हरियाणा का पहला बजट प्रस्तुत (budget submission) करने का अवसर मिला है। यह बजट विकसित भारत के विराट संकल्प को पूरा करने के लिए एक मजबूत नींव का निर्माण करेगा। हम 2047 में समृद्ध भारत, समर्थ भारत, हर प्रकार से सम्पन्न भारत बनाकर रहेंगे।
Haryana Budget 2023-24 PDF file
सतत् विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कुल बजट का 65.8 प्रतिशत आवंटित
वित्त मंत्री ने बताया कि वर्ष 2023-24 के बजट आवंटन को सतत् विकास के लक्ष्यों (SDG) से संरेखित किया है। राज्य में लागू किए जा रहे एसडीजी (SDG) की प्राप्ति के उद्देश्य से 1,83,950 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय में से 1,20,958 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो कि 65.8 प्रतिशत है। यह आवंटन उन स्कीमों के लिए किया गया है, जो सतत् विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए क्रियान्वित की जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि यह बजट अन्य वित्त वर्षों के बजट से हटकर है। 25 साल बाद जब हम आजादी का शताब्दी वर्ष मनाएंगे, तो हरियाणा खुशहाली और समृद्धि के मामले में कैसा होगा, इसकी परिकल्पना इस बजट में उन्नत हरियाणा (Haryana) के निर्माण की नींव डालने की रूपरेखा तय की है।
उन्होंने कहा कि बजट में पूंजीगत परिसम्पत्ति के सृजन के लिए 57,879 करोड़ रुपये के परिव्यय, जो कि 31.5 प्रतिशत तथा राजस्व परिव्यय के लिए 1,26,071 करोड़ रुपये, जोकि 68.5 प्रतिशत है, का प्रस्ताव किया गया है।
विकास दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान
वित्त मंत्री ने कहा कि यह बजट सतत विकास लक्ष्य (SDG) विजन-2030 के अनुसार राज्य के विकास के लिए हमारी प्रतिबद्धता को भी प्रकट करता है। हरियाणा (Haryana) का भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 3.86 प्रतिशत का योगदान है, जो कि इसके आकार या जनसंख्या के अनुपात से कहीं अधिक है। हरियाणा के लिए यह गर्व की बात है कि वर्ष 2022-23 में जीएसडीपी विकास दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
जीडीपी (GDP) में हरियाणा की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 में 3.52 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 3.86 प्रतिशत
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) की वृद्धि दर देश के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) से और प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय, देश की प्रति व्यक्ति आय से कहीं अधिक रही है। वर्ष 2014-15 से 2022-23 तक हरियाणा की (GSDP) की वार्षिक चक्रवृद्धि दर स्थिर मूल्यों पर 5.62 प्रतिशत रही है, जबकि इसी अवधि में राष्ट्र की जीडीपी वृद्धि दर 4.58 प्रतिशत रही है। फलस्वरूप राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद में हरियाणा (Haryana)की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 में 3.52 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 3.86 प्रतिशत हो गई है।
उन्होंने बताया कि हरियाणा के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) की क्षेत्रवार संरचना के रुझान यह दर्शाते हैं कि वर्ष 2022-23 में जी.एस.डी.पी. (GSDP) में प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक क्षेत्र और तृतीयक क्षेत्र का हिस्सा क्रमशः 19.6 प्रतिशत, 29.7 प्रतिशत और 50.7 प्रतिशत रहने की संभावना है।
हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2022-23 में 2,96,685 रुपये होने की संभावना
मनोहर लाल ने बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2014-15 में वर्तमान मूल्यों पर 86,647 रुपये थी, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 1,70,620 रुपये होने की संभावना है, जबकि हरियाणा (Haryana) के लिए यह वर्ष 2014-15 में 1,47,382 रुपये से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 2,96,685 रुपये होने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि बजट अनुमान वर्ष 2023-24 के लिए 1,09,122 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्तियों का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें 75,716 रुपये का कर राजस्व और 12,651 करोड़ रुपये का गैर-कर राजस्व शामिल है। कर राजस्व प्राप्तियों में जीएसटी, वैट, आबकारी एवं स्टाम्प शुल्क राजस्व के प्रमुख स्रोत हैं। केंद्रीय करों का हिस्सा है 11,164 करोड़ रुपये और केंद्र से सहायता अनुदान 9,590 करोड़ रुपये है। इसके अतिरिक्त, पूंजीगत प्राप्तियां 71,173 करोड़ रुपये अनुमानित है।
राजकोषीय घाटा जी.एस.डी.पी. का 2.96 प्रतिशत
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य हमेशा केंद्रीय वित्त आयोग और भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार राजकोषीय मानकों को बनाए रखने में सफल रहा है। संशोधित अनुमान (RE) 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीएसडीपी (GSDP) का 3.29 प्रतिशत रहा जो कि जी.एस.डी.पी. के 3.5 प्रतिशत की अनुमत सीमा के अंतर्गत है। वर्ष 2023-24 के लिए जी.एस.डी.पी. (GSDP) के 2.96 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे का प्रस्ताव है, जो कि अनुमेय सीमा के अंतर्गत है।
मनोहर लाल ने कहा कि सकल ऋण स्टॉक को भी निर्धारित सीमा में रखने में सफल रहे हैं। संशोधित अनुमान 2022-23 में ऋण GSDP अनुपात 25.78 प्रतिशत है, जो कि निर्धारित सीमा 33.3 प्रतिशत की सीमा में है। वर्ष 2023-24 में ऋण स्टॉक जी.एस.डी.पी का 25.45 प्रतिशत प्रक्षेपित है, जोकि निर्धारित मानकों 33.1 प्रतिशत से बहुत नीचे है। उन्होंने कहा कि हरियाणा (Haryana) राजकोषीय विवेक के मार्ग पर आगे भी अग्रसर रहेंगे, क्योंकि यह सतत् आर्थिक विकास का एकमात्र रास्ता है।