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रेवाड़ी बार के वकीलों ने परिवार पहचान पत्र के विरोध मे किया प्रदर्शन

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उन्होंने कहा कि जन साधारण के लिए परिवार पहचान पत्र आफत बन चुका है। अधिवक्ता समाज का एक सचेत हिस्सा होने के नाते उनका फर्ज बनता है कि आम लोगो के खिलाफ हो रहे गलत काम के खिलाफ सरकार को चेताए और जगाए। पीपीपी की ओट में आम लोगो को राशन कार्ड बनवाने, आयुष्मान योजना, छात्रवृति इत्यादि को बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है।

फैमिली आई डी में त्रुटी के कारण काट रहे चक्कर

सीएससी सेंटरो में फैमिली आई डी ठीक करने के नाम से अनाप शनाप पैसे वसूले जा रहे है। जिसके पास शहर में 100 वर्ग गज एवम गांव में 200 वर्ग गज का प्लॉट है। साल में जिसका कुल बिजली बिल 9000 रुपए हो जाता है। पूरे परिवार की सालाना आय 1 लाख 80000 है ऐसे तमाम नागरिकों को मिलने वाली कल्याणकारी योजनाओं से हाथ धोना पड़ रहा है। अनपढ़ लोग फैमिली आई डी को ठीक करवाने के लिए चक्कर काट रहे है। राशन कार्ड के मुताबिक पूरे परिवार की आय तमाम संसाधनों से वार्षिक 1 लाख 80,000 है तो उनको सब कल्याणकारी योजनाओं बुढ़ापा सम्मान निधि, विधवा पेंशन, आयुष्मान , छात्र वजीफा ,मुख्यमंत्री समृद्धि योजना,मेरी फसल मेरा ब्योरा,विवाह शुगन राशि इत्यादि योजनाओं और सुविधाओ से वंचित कर दिया गया है।

सरकार को जन साधारण की कोई चिंता नहीं है। केंद्रीय सरकार भी केंद्र की योजनाओं के लिए पांच लाख वार्षिक आमदनी पर विचार कर रही है। 7वां वेतन आयोग भी 28000 रूपया न्यूनतम वेतन की प्रति माह की सिफारिश कर चुका है। परंतु हरियाणा सरकार 1लाख 80000 पूरे परिवार की सालाना आय वालो को अमीर मानती है। सरकार के मंत्री गरीब है जिनके लिए  सरकार लगातार वेतन और भत्ते बढ़ा रही है। वकीलों ने फैसला लिया है कि तुरंत पीपीपी कानून को वापिस लिया जाए ,अन्यथा वकील जनता के साथ मिलकर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे ।

पीपीपी में त्रुटी बनी पढाई में बाधा

चाय की दुकान वाले व्यक्ति की 5 लाख महीने की इनकम दिखा दी तो वही एक ग्रहणी की डेढ़ लाख रुपए इनकम ऐसे में महिला का कहना है कि हमें कार्ड या कोई अन्य सुविधा नहीं चाहिए। अगर 5 करोड़ सालाना दिखा रहे हैं तो हमें वही दे दे। तीन-तीन बार धक्के खाने के बाद भी उनकी करेक्शन नहीं की जा रही है। वही इस फैमिली आईडी में दिखाई गई इनकम के कारण कुछ लोगों को पढ़ाई तक में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि जिन लोगों का सीईटी क्लियर है उन्हें 5 अंक की छूट दी जाती है ज्यादा इनकम दर्शाने की वजह से उन्हें यह छूट भी नहीं मिल पाएगी।