Home राष्ट्रीय भारत में बनने जा रहा एशिया का सबसे लंबा वन्यजीव गलियारा

भारत में बनने जा रहा एशिया का सबसे लंबा वन्यजीव गलियारा

246
0

भारत में रोड इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त किया जा रहा है। लोगों के समय और संसाधन को बचाने के लिए कई हाईवे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। लेकिन केंद्र सरकार इंसानों के साथ ही पर्यावरण और वन्य जीव का भी ख्याल रख रही है। इसी के तहत देश में एशिया का सबसे लंबा वन्यजीव गलियारा बनाया जा रहा है। क्या है वन्यजीव गलियारा, कहां बनाया जा रहा है और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को जानते है। केंद्र सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शुमार नई दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है। इसी एक्सप्रेस-वे पर एशिया का सबसे लंबा वन्यजीव गलियारा (wildlife corridor) बनाया जा रहा है, जिसकी लंबाई 12 किलोमीटर है।

क्या है वन्यजीव गलियारा

वन्यजीव गलियारा यानि वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर का अर्थ पशुओं के लिए दो अलग-अलग स्थान वाले छोर के बीच सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करना है। वन्यजीव गलियारों जानवरों और पौधों की आबादी के बीच कनेक्शन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन्य जीवन के लिए इस तरह के गलियारे या कॉरिडोर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: कार्यात्मक और संरचनात्मक।

दो तरह के होते हैं वन्यजीव गलियारा

कार्यात्मक गलियारे के तहत पशुओं के लिहाज से उनके कार्यक्षमता के संदर्भ में परिभाषित किये जाते हैं (मूल रूप से उन क्षेत्रों में जहां वन्यजीवों की आवाजाही दर्ज की गई है)। कार्यात्मक गलियारे पशुओं की आवाजाही के कारण स्वचालित रूप से विस्तृत हो जाते हैं। जबकि संरचनात्मक गलियारे, वनाच्छादित क्षेत्रों में निर्मित संरेखित पट्टियों को कहते हैं और ये संरचनात्मक परिदृश्य रूप से अन्य खंडित भागों को जोड़ते हैं। संरचनात्मक गलियारे मानवजनित गतिविधियों से प्रभावित होते हैं।

जानवरों के लिए कई रास्ते बनाए गए

करीब 210 किलोमीटर लंबा दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे दिल्ली से देहरादून के बीच यात्रा के समय को छह घंटे से घटकर लगभग 2.5 घंटे कर देगा। इसमें हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, शामली, यमुनानगर, बागपत, मेरठ और बड़ौत से सम्पर्क के लिए सात प्रमुख इंटरचेंज होंगे। इसमें वन्यजीवों के लिए बिना रोक-टोक आवागमन के लिए एशिया का सबसे बड़ा वन्यजीव एलीवेटेड गलियारा (12 किलोमीटर) बनाया गया है। साथ ही, देहरादून में डाट काली मंदिर के पास 340 मीटर लंबी सुरंग वन्यजीवों पर होने वाले प्रभाव को कम करने में मदद करेगी। इसके अलावा, गणेशपुर-देहरादून खंड में वाहनों को जंगली जानवरों से टक्कर से बचने के लिए जानवरों के लिए कई रास्ते बनाए गए हैं। दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारे में 500 मीटर के अंतराल पर वर्षा जल संचयन और 400 से अधिक पानी के रिचार्ज प्वाइंट की व्यवस्था भी होगी।

वन्य जीव संरक्षण कानून

भारत में वन्यजीव संरक्षण कानून 1972 है। इस कानून में वन्यजीव निवासों के शिकार, संरक्षण और प्रबंधन पर रोक लगाने, वन्यजीव और चिड़ियाओं के प्रबंधन से प्राप्त भागों और उत्पादों के व्यापार के नियंत्रण और नियंत्रण पर रोक लगाने की आवश्यकता है। वन्य जीव संरक्षण कानून 1972 में अब तक कई बार संशोधन हो चुके हैं। अब आठवां संशोधन प्रस्तावित है। इसे 09 दिसंबर, 2021 को लोकसभा में पेश किया गया था। इससे पहले 1982, 1986, 1991, 1993, 2002, 2006 और 2013 में इसमें संशोधन हो चुके हैं। इस साल दो अगस्त को लोकसभा में ‘वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2021’ पर चर्चा हो चुकी है। इस चर्चा के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने केंद्र सरकार की वनों और वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार की परिकल्पना है कि धरती हरी-भरी रहे और धरती पर सभी जीव सह-अस्तित्व में रहें।