सही कहा है जुनून हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। भिवानी की सुनीता और उनका बेटा नवीन दोनों एक साथ एलएलबी की परीक्षा दे रहे हैं। शादी के समय सुनीता 12वीं तक पढ़ी थी। शादी के बाद बच्चों के लालन- पालन का बोझ आया तो घर गृहस्थी में व्यस्त हो गईं। बच्चे बड़े होने के बाद एक बार फिर उन्होंने पढ़ने की ठानी और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से डिस्टेंस एजुकेशन से पिछले वर्ष स्नातक की। इसके बाद एलएलबी में बिट्स महाविद्यालय भिवानी में दाखिला लिया। अब दोनों मां-बेटा एलएलबी की परीक्षा एक साथ दे रहे हैं।
मां बेटे में होड़ है कि कौन ज्यादा अंक प्राप्त करे
बेटा नवीन लोहिया 12वीं करने के बाद पांच वर्षीय एलएलबी कोर्स कर रहे हैं तो मां सुनीता सरोहा स्नातक करने के बाद तीन वर्षीय एलएलबी की पढ़ाई कर रही हैं। फिलहाल बेटा पांचवें सेमेस्टर की परीक्षा दे रहा है तो मां दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा दे रही हैं। मां बेटा में यह भी होड़ है कि कौन ज्यादा अंक प्राप्त करता है।
20 साल बाद वकालत की राह पर सुनीता
सुनीता कि शादी 29 जून 2000 को गोलपुरा निवासी सुनील के साथ हुई थी। शादी के बाद गृहस्थी और बच्चों के लालनपालन का बोझ उन पर आ गया। वह चाहती थी कि पढ़ाई जारी रखी जाए लेकिन पारिवारिक बोझ के चलते उनको पढाई छोडनी करनी पड़ी। शादी के 16 साल बाद उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कलां संकाय में स्नातक की पढ़ाई शुरू की और पिछले साल वर्ष 2020 में उसकी स्नातक पूरी हुई। इसके बाद उन्होंने बिट्स ला कालेज में नियमित रूप से एलएलबी में दाखिला लिया।
सुनीता का सपना महिलायों की आवाज उठाना
सुनीता सरोहा कहती हैं कि महिलाओं पर प्रताड़ना के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। महिलाओं की आवाज बनने के लिए उन्होंने एलएलबी करने की ठानी थी। अब इस मिशन में भी कामयाबी जरूरी मिलेगी। वैसे भी वर्षो से वह समाज सेवा के कार्यों से जुड़ी हैं। एलएलबी की डिग्री हो जाएगी तो और महिलाओं के लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ सकूंगी।