दक्षिण हरियाणा की महत्वकांक्षी परियोजना एम्स यानी ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऍफ़ मेडिकल साइंस का निर्माण कब और कहा शुरू होगा इसका इलाके के लोगों को बेसब्री से इन्तजार है ..लेकिन ये इन्तजार खत्म नहीं हो रहा है. वो इसलिए क्योंकि काफी समय से जिले में एम्स बनाये जाने की ओपचारिक घोषणा कर दी गई थी ..लेकिन जमीन की पेचीदगियों के चलते मामला अटका हुआ है. और अब प्रशासनिक अधिकारी मसानी बैराज स्थित सिंचाई विभाग की जमीन को एम्स निर्माण के लिए विकल्प के रूप में देख रहें है . मसानी बैराज स्थित जमीन का आज जिलाधीश यशेंद्र सिंह ने सबंधित विभागों के अधिकारीयों को साथ लेकर जायजा लिया.
आपको बता दें की फिलहाल नारनौल रोड़ स्थित माजरा गाँव की जमीन को एम्स निर्माण के लिए देखा गया है . लेकिन ग्रामीण प्रति एकड़ 50 लाख रूपए दिए जाने की मांग कर रहे है और सरकार सर्किल रेट के आलावा 5 से 10 लाख ऊपर देने से ज्यादा के मुंड में नहीं है ..यानी सरकार प्रति एकड़ 30 से 35 लाख से ज्यादा नहीं देना चाहती है. इसलिए आज जिलाधीश यशेंद्र सिंह मसानी बैराज स्थित जमीन को एम्स निर्माण के लिए विकल्प के रूप में देखने गए थे . मसानी बैराज स्थित सिंचाई विभाग की 503 एकड़ जमीन है जिसमें से 224 एकड़ जमीन को एम्स निर्माण के लिए देखा गया है.
लम्बे संघर्ष के बाद इलाके में हुई थी एम्स की घोषणा
आपको बता दें की वर्ष 2015 में पहली बार बवाल रैली में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मनेठी में एम्स बनाये जाने की घोषणा की थी . तीन साल बाद भी घोषणा पर काम शुरू नहीं हुआ था तो मनेठी में एम्स बनाओ संघर्ष समिति का गठन कर करीबन 3 महीने धरना प्रदर्शन किया गया था . फिर लोकसभा चुनाव से पहले मनेठी में एम्स बनाये की घोषणा की गई. और चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा भी मिला .. फिर विधानसभा चुनाव से पहले फारेस्ट एडवयाजरी कमेठी ने मनेठी में एम्स के लिए दी गई जमीन पर आपत्ति जता दी थी. और सरकार ने गेंद स्थानीय लोगों के पाले में फेंक कर कहा था की इलाके के लोग जमीन उपलब्ध कराये. सरकार एम्स बनाने को तैयार है. सरकार की तरह से ई भूमि पोर्टल खोलकर किसानों से कहा गया की वो स्वयं जमीन के दस्तावेज अपलोड करें . और मनेठी और माजरा गाँव के लोगों ने करीबन साढ़े चार सो एकड़ जमीन के दस्तावेज भी अपलोड किये थे . जिसके बाद माजरा गाँव की तरफ से दी गई करीबन 300 एकड़ जमीन का अवलोकन करने केन्द्रीय टीम माजरा गाँव भी पहुँची और फिजिबलटी को चैक किया गया.
यहाँ उम्मीद जगी थी की अब जल्द एम्स का निर्माण शुरू हो जाएगा . लेकिन माजरा गाँव के किसान जमीन देने के लिए 50 लाख रूपए प्रति एकड़ दिए जाने की मांग पर अड़ गए और सरकार 30 लाख से ज्यादा देने की मुंड में नहीं है. ऐसे में जमीन को लेकर फिर प्रस्तवित एम्स का निर्माण अटक गया है .ऐसे में अब फिर मसानी बैराज स्थित जमीन को एम्स के लिए विकल्प के रूप में देखा जा रहा है .. यहाँ आपको बता दें की जब मनेठी की जमीन पर फारेस्ट एडवायजरी कमेटी ने आपत्ति जताई थी .. उस समय भी मसानी बैराज स्थित जमीन पर एम्स का निर्माण हो सकता है . ये बयानबाजी शुरू हुई थी ..और अब फिर से मसानी स्थित जमीन को एम्स निर्माण के लिए देखा गया है.
सरकारी प्रेसनोट में दी गई जानकारी में ये कहा गया की सरकार की प्राथमिकता है की खोल इलाके में एम्स का निर्माण हो , लेकिन सरकार जल्द एम्स प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाना चाहती है . और खोल ब्लॉक में सरकारी रेट में जमीन उपलब्ध हो नहीं रही है . ऐसे में मसानी स्थित खालियावास और खरखडा गाँव की जमीन को विकल्प के रूप में देखा जा रहा है . जिलाधीश यशेंद्र सिंह ने कहा की शुक्रवार को दौबारा बैठक की जायेगी तब तक सबंधित विभाग चैक कर लें कोई कोई आपत्ति तो नहीं है .
वहीँ रेवाड़ी से कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव ने एम्स का निर्माण जल्द शुरू कराये जाने का मुद्दा विधानसभा में उठाया और कहा की एम्स माजरा में बने या मसानी में फायदा पुरे इलाके को ही होगा. इसलिए सरकार देरी करने की बजाये जल्द एम्स का काम शुरू करें .
बहराल माजरा गाँव की जमीन पर सरकार और स्थानीय किसान अपनी –अपनी बात बात पर अड़े हुए है . इस बीच मसानी स्थित जमीन को देखा जा रहा है ..अब देखना होगा की क्या माजरा गाँव की जमीन पर ही कोई सहमती बनती है या फिर मसानी स्थित जमीन पर फिजिबल्टी को चैक करके काम आगे बढाया जायेगा.