बच्चों को कृमि मुक्त बनाने में एल्बेंडाजोल की गोली पूर्णत: सुरक्षित व प्रभावशाली है, सभी अभिभावकों को चाहिए कि वे इन गोलियों को अपने बच्चो को अवश्य खिलाएं ताकि बच्चों को कृमि मुक्त बनाया जा सके।
उपायुक्त ने शुक्रवार को सचिवालय में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, नगरपरिषद व आईएमए के डाक्टरों की बैठक ली। उन्होंने कहा कि बच्चों को कुपोषण से बचाने तथा उन्हें स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करने के लिए सभी विभाग आपसी तालमेल के साथ राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम में पूर्ण सहयोग करें। उन्होंने कहा कि कृमि मुक्ति दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य बच्चों में पेट के कीड़ों की बीमारी से मुक्त करना है। यह बीमारी बच्चों में शारीरिक कमजोरी उत्पन्न करती है, जिससे बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाता है।
डीसी ने कहा कि बच्चों को कुपोषण से बचाने में शिक्षक अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल व कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को स्वास्थ्य व स्वच्छता के टिप्स बताएं। विशेषकर छोटे बच्चों को हैंडवाश के बाद खाना खाने के फायदे जरूर बताएं। उन्होंने कहा कि जिला में लक्ष्य अनुसार शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर जाकर बच्चों को एल्बेंडाजोल की दवा खिलाएं। दवा खिलाने वाली टीमें कोविड-19 से बचाव के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिग का विशेष ध्यान रखें।
सिविल सर्जन डा. कृष्ण कुमार ने बताया कि हेल्थ कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय कृमि मुक्ति प्रोग्राम 12 सितम्बर से 18 सितम्बर तक जिले के 1 से 19 वर्ष के बच्चों को आशा व आंगनवाड़ी वर्करों के माध्यम से एल्बेंडाजोल की गोली घर-घर जाकर निशुल्क खिलाई जाएंगी। इस अभियान के तहत जो बच्चा कारणवश छूट गया तो उसे 19 सितम्बर से 22 सितम्बर तक मोप अप राऊंड के दौरान गोली खिलाई जाएगी।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डा. विजय प्रकाश ने बताया कि यह कार्यक्रम पहले सभी स्कूल व आंगनवाड़ी केन्द्रों में किया जाता था अब यह कोरोना महामारी के कारण आशा व आंगनवाड़ी वर्कर की सहायता से घर-घर जाकर कृमि मुक्त करने के लिए गोली खिलाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि 1 से 2 साल के बच्चों को आधी गोली खिलाएं दवा को दो चम्मच के बीच रखकर पूरी तरह पीस लें और पीने के पानी में मिलाकर ही दवा खिलाएं, 2 से 3 साल के बच्चों को दवा की एक गोली दो चम्मच के बीच रखकर पूरी तरह पीस लें और पीने के पानी में मिलाकर ही खिलाएं, 3 से 19 साल तक के बच्चों को दवा की पूरी गोली चबाकर खानी है बिना चबाकर खाई गई गोली का प्रभाव कम हो जाता है। आशा व आंगनवाड़ी वर्कर अपने सामने ही बच्चों को गोली खिलाये।
उन्होंने इस मौके पर प्राईवेट स्कूल एशोशिएसन के प्रधान, शिक्षा विभाग के प्रतिनिधियों से कहा कि वे स्कूलों में बच्चों को इस गोली के फायदे बताये और दवा खाने से पहले बच्चे खाना अवश्य खा कर आये अर्थात् खाली पेट दवा न ले। उन्होंने नगरपालिका व नगरपरिषद के अधिकारियों से आह्वान किया है कि कूड़ा कचरा एकत्रित करने वाले वाहनों के माध्यम से इस कार्यक्रम का प्रचार प्रसार ज्यादा से ज्यादा करवायें ताकि लोगों को जागरूक किया जा सकें।