Home हरियाणा ‘म्हारा बाणा-परदा मुक्त हरियाणा’ अभियान,ने हिजाब के शोर के बीच पकड़ी हवा

‘म्हारा बाणा-परदा मुक्त हरियाणा’ अभियान,ने हिजाब के शोर के बीच पकड़ी हवा

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‘म्हारा बाणा-परदा मुक्त हरियाणा’ अभियान,ने हिजाब के शोर के बीच पकड़ी हवा

कर्नाटक में हिजाब विवाद काफी बढ़ रहा है जिसको लेकर कई राजनीतिक दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. विदेशों में भी  लोगों ने इस मुद्दे का समर्थन किया है. इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी सरकार, हर मजलूम, हर पीड़ित मुस्लिम महिला के साथ खड़ी है। कोई मुस्लिम महिलाओं पर जुल्म ना कर सके, योगी जी की सरकार इसके लिए जरूरी है। सबका साथ, सबका विकास ही यूपी के विकास का मूलमंत्र है। पीएम मोदी ने कहा भाजपा के लिए विकास में बेटियों की सहभागिता सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

 

 

हिजाब के मुद्दे के बीच अब हरियाणा में भी महिला खाप ने अपनी खास मुहिम ‘म्हारा बाणा-परदा मुक्त हरियाणा’ को और तेज करने का फैसला लिया है. सर्वजातीय सर्व खाप की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष व राष्ट्रपति सम्मान से नवाजी जा चुकीं डा. संतोष दहिया ने हरियाणा में वर्ष 2014 में ‘म्हारा बाणा-परदा मुक्त हरियाणा’ विशेष अभियान की शुरुआत की थी। हालांकि हरियाणा की संस्कृति में घूंघट का एक विशेष महत्व रहा है.लेकिन अब इस परदे के बंधन से महिलाओं को मुक्त करने का समय आ गया है.

‘म्हारा बाणा-परदा मुक्त हरियाणा’ अभियान,ने हिजाब के शोर के बीच पकड़ी हवा

 

अभियान को तेज करने के निर्देश

डॉ. सतोष ने कहा की जिस तरह से देश में हिजाब को लेकर विवाद खड़ा हो गया है और इसे अब राजनीतिक रूप दिया जा रहा है, उसके मद्देनजर महिला खापों की सदस्यों को निर्देश दिया है कि वे परदा मुक्त हरियाणा अभियान और तेज करें। हर जिले में महिलाओं की टीमें गांव-दर-गांव जाकर इसके प्रति महिलाओं को जागरुक कर रही हैं। बेटियों को प्रगतिशील बनना चाहिए। उन्हें किसी को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहिए कि उनके किसी रिवाज या परंपरा पर कोई राजनीति कर सके। 

 

कठिनाई भरा सफ़र

उन्होंने कहा की शुरुआत में उन्हें इस अभियान को शुरू करने में बहुत दिक्कत आई.हरियाणा में 180 खाप है. जिनका सूबे की संस्कृति, पहनावा, रहन-सहन के तौर तरीकों और सामाजिक कार्यों में बड़ा दखल है। सूबे के अधिकतर गांवों में घूंघट (परदा) प्रथा लंबे समय से बनी हुई है। उन्होंने बताया की बुजुर्गों का यह मानना था कि बहू-बेटियों के सिर से घूंघट सरकेगा तो उनके भीतर से अपने बुजुर्गों के प्रति सम्मान की भावना भी सरक जाएगी।

 

शुरुआत में कई खाप इस बात का विरोध करती थीं, मगर विभिन्न पंचायतें व महापंचायतों के जरिये उन्हें यह समझाया गया कि यह घूंघट किस कदर हमारी बेटियों की तरक्की में बाधा बन रहा है, उनका आत्मविश्वास खो रहा है। उन्हें यह भी समझाया गया कि बुजुर्गों की इज्जत करना तो हरियाणवी बहू-बेटियों के संस्कार का हिस्सा है, जिसकी तालीम उन्हें बचपन से दी जाती है। आखिरकार बुजुर्ग समझने लगे और इस मुहिम को बल मिलता गया।

 

डॉ. सतोष का मानना है कि घूंघट में रहने वाली महिलाओं में आत्मविश्वास अपेक्षाकृत बहुत कम होता है, उन्होंने खुद इस पीड़ा को झेला है लेकिन यह मुहिम रंग ला रही है और आज हरियाणा की छोरियां खेल, शिक्षा, तकनीक इत्यादि क्षेत्रों में अपनी कामयाबी का लठ गाड़ रही हैं। इस अभियान को अब गांवों में और तेज किया जाएगा और इस प्रथा को पूरी तरह खत्म करने के लिए उनका संगठन संकल्पबद्ध है।