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23 Sep शहीदी दिवस : राव तुलाराम सहित वीरों की भूमि हरियाणा ने दी थी बड़ी कुर्बानी

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23 Sep शहीदी दिवस : राव तुलाराम सहित वीरों की भूमि हरियाणा ने दी थी बड़ी कुर्बानी

23 सितंबर शहीदी दिवस के मौके पर आज रेवाड़ी में राव तुलाराम की प्रतिमा और शहीद स्मारक पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजली दी गई …केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह , कैबिनेट मंत्री डॉ बनवारी लाल , राज्यमंत्री ओपी यादव और प्रशासनिक अधिकारीयों सहित जिले के राजनितिक पार्टी के पदाधिकारी और सामाजिक संगठनों ने राव तुलाराम की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजली अर्पित की है .. आपको बता दें की 23 सितंबर 1863 में राजा राव तुलाराम का निधन हुआ था.. और हरियाणा बनने के बाद राव तुलाराम और प्रदेश के वीर शहीदों के सम्मान में प्रदेश में 23 सितम्बर का दिन शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है ..

 

रेवाड़ी के राजा राव तुलाराम वह शख्सयित थे, जिन्होंने आजादी के पहले स्वतंत्रता  संग्राम मे अहम योगदान दिया था. अंग्रेजों के साथ एक ही युद्ध मे राज राव तुलाराम की सेना के लगभग पांच हजार सैनिक शहीद हुए थे.

हरियाणा का रेवाड़ी जिला जिसे अहिरवाल का लन्दन कहा जाता है और इस लन्दन के राजा राव तुलाराम थे.  राव तुलाराम ने देश के लिए लड़े गए 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया था, जिसको लेकर हरियाणा के लोग 23 सितम्बर का दिन शहीदी दिवस के रूप में मनाते है और हरियाणा के साथ-साथ रेवाड़ी के लोग अपने आप पर गर्व महसूस करते है कि वह ऐसी धरती पर जन्में है जिस धरती से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले राव तुलराम जन्में थे.

 

रेवाड़ी का रामपुरा गांव राजा राव तुलाराम की रियासत हुआ करती थी और उनकी रियासत में पूरा दक्षिण हरियाणा आता था. राजा राव तुलाराम का जन्म 9 दिसम्बर 1825 को रेवाड़ी के रामपुरा में हुआ था और उनकी दो बड़ी बहनें थी. राव तुलाराम को तुलासिंह भी कहा जाता था.  राव तुलाराम की शिक्षा तब शुरू हुई जब वो पांच साल के थे. साथ-साथ ही उन्हें हथियार चलाने और घुड़सवारी की शिक्षा भी दी जा रही थी. राव तुलाराम जब 14 साल के थे तब उनके  पिता राव पूर्ण सिंह  की निमोनिया बीमारी से मृत्यु हो गई और 14 दिनों बाद उन्हें राव पूर्ण सिंह की रियासत का राजा चुना गया , तब से ही तुलाराम राव राजा तुलाराम के नाम बन गए. राव तुलाराम के दादा राव तेज सिंह था ..जिन्होंने रेवाड़ी की ऐतिहासिक धरोहर बड़ा तालाब का निर्माण किया था .. उस समय जल संरक्ष्ण के लिए इस तालाब का निर्माण किया गया था .

 

राव तुलाराम का राज्य कनीना, बवाल, फरुखनगर, गुड़गांव, फरीदाबाद, होडल और फिरोजपुर झिरका तक फैला हुआ था. राव तुलाराम अंग्रेजों के शासन से काफी परेशान थे और उनके दिल में आक्रोश की भट्टी  सुलग रही थी. जब पहली बार1857 में बंगाल से क्रांति की आग लगी तो वो हरियाणा तक फ़ैल गई और दिल्ली से सट्टा अहिरवाल के क्षेत्र में ये विद्रोह और भयानक रूप से भड़क गया था.  तब अहिरवाल का नेतृत्व राजा  राव तुलराम और उनके चचेरे भाई गोपाल देव ने संभाला .  बादशाह बहादुरशाह ने तुलाराम को निर्देश दिया था कि वो अहिरवाल का नेतृत्वन करें.  दिल्ली के आसपास के इलाकों में विद्रोह की आग बराबर भड़की हुई थी.  अंग्रेज अब यह समझ चुके थे कि राव तुलाराम पर काबू पाए बिना वे चैन से दिल्ली पर शासन नहीं कर सकते , इसलिए राव तुलाराम को तहस-नहस करने के लिए 2 अक्टूबर 1857 को ब्रिगेडियर जनरल शोबर्स एक भारी सेना तोपखाने  लेकर रेवाड़ी की ओर बढ़े और  5 अक्टूबर 1857 को पटौदी में उनकी झड़प राव तुलाराम की एक सैनिक टुकड़ी से हुई. अंग्रेज राव तुलाराम की सैनिक तैयारी को देखकर दंग रह गए. यह विदेशी लश्कर एक माह तक राव तुलाराम को घेरे में लेने की कोशिश करता रहा.

दूसरी ओर अंग्रेजों ने दस नवम्बर 1857 को एक बड़ी सेना जबरदस्त तोपखाने के साथ  कर्नल जैराल्ड की कमान में राव तुलाराम के खिलाफ रवाना की. 16 नवम्बर 1857 को जैसे ही अंग्रेजी सेना नसीबपुर के मैदान के पास पहुंची राव तुलाराम की सेना उन पर टूट पड़ी. यह आक्रमण बड़ा भयंकर था. अंग्रेजी सेना के छक्के छूट गए. उनके कमाण्डर जैराल्ड सहित अनेक अफसर मारे गए.  राव तुलाराम की फौज बड़ी वीरता से लड़ी जिसकी दुश्मनों ने भी तारीफ की. जिस युद्ध में राव तुलाराम को सेना के करीबन 5 हजार सैनिक शहीद हो गए थे .
नसीबपुर मे हुए युद्ध में घायल राजा राव तुलाराम राजस्थान चले गए , जहां इलाज के बाद वह सहायता लेने के लिए अफगानिस्तान गए, फिर  कई शहरों से होते हुए वे काबुल पहुंचे.  और वहां फैली बीमारी से वे ग्रस्त हो गए और आजाद कराने की तड़फ लिए 23 सितम्बर 1863 को काबुल में स्वर्ग सिधार गए , और वहां उनका शहीदी सम्मान के साथ दाह संस्कार कर दिया गया.  1857 की क्रांति में भागीदारी के कारण ब्रिटिश हुकूमत ने 1859 मे, राव तुलाराम की रियासत को जब्त कर लिया था। परंतु उनकी  पत्नि का संपत्ति पर अधिकार कायम रखा गया था। 1877 में उनकी उपाधि उनके पुत्र ‘राव युधिष्ठिर सिंह’ को अहिरवाल का मुखिया पदस्थ करके लौटा दी गयी थी .

 

वर्ष 1957 में जब भारत सरकार ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शताब्दीस मनाई , तब राव तुलाराम की स्मृति में सरकार ने नारनौल के नसीबपुर युद्ध क्षेत्र ) और रेवाड़ी के  रामपुरा में शहीदी स्मारक बनवाए.   फिर हरियाणा बनने के बाद हरियाणा सरकार ने भी 23 सितम्बर को राव तुलाराम व अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु राजकीय अवकाश घोषित किया .

रामपुरा गांव में राव तुलाराम के वंशज रहते है.  केंद्रीय  राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और उनके दो भाई राव अजित सिंह और राव याधुवेंद्र सिंह  राव तुलाराम के वंशज है.  साथ ही उनके नाम से रेवाड़ी में कई महत्वपूर्ण स्थान मनाये गए. रेवाड़ी में राव तुलाराम के नाम से नाइवाली चौक पर उनकी प्रतिमा लगाईं गई ,  एक पार्क और एक स्टेडियम बनाया गया है . साथ ही दिल्ली में राव तुलाराम के नाम से एक अस्पताल और एक कॉलेज बनाया हुआ है , और वर्ष 2001 में राव तुलराम के नाम से डाक विभाग ने एक टिकट भी जारी की थी.