बता दें कि पिछले सत्र में पहली से बारहवीं कक्षाओं तक जिले के राजकीय स्कूलों में 66420 विद्यार्थियों के दाखिले हुए थे। गत 11 जून को शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों ने वीसी के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारियों के साथ बैठक कर जिलेवार दाखिलों की स्थिति से अवगत कराया था। जिसमें रेवाड़ी जिले के स्कूलों में पिछले साल के मुकाबले 15 हजार दाखिले कम हुए थे। उच्च अधिकारियों ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने जिलों में अभियान चलाकर स्कूलों में विद्यार्थियों के दाखिले बढ़ाने के निर्देश दिए थे।
जिला शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि हमने इस साल जिले के राजकीय स्कूलों में 70 हजार विद्यार्थियों के दाखिले कराने का लक्ष्य रखा था। जिसे अधिकारियों व शिक्षकों की मेहनत से बखूबी हासिल कर लिया गया है। अभी हमारा प्रयास जारी है, ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थियों के दाखिले कराए जा सकें।
प्रशंसा पत्र:
राजकीय स्कूलों में शिक्षकों की तरफ से अभियान चलाकर दाखिले बढ़ाए गए हैं। इसके लिए कुछ विद्यालयों द्वारा ग्राम पंचायत, एसएमसी के साथ मिलकर वार्ड व गांवों को जीरो ड्राप आउट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां लड़कियों के नामांकन दर में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, वहीं ड्राप आउट दर में भी गिरावट आई है। आउट आफ स्कूल बच्चों के नामांकन में भी वृद्धि हुई है। विभाग की तरफ से ऐसे विद्यालयों के मुखियाओं को पांच सितंबर को शिक्षक दिवस पर उपायुक्त या अतिरिक्त उपायुक्त की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम का आयोजन करके सम्मानित किया गया। इसके आयोजन को लेकर निदेशालय की तरफ से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र भी जारी किया जा चुका है।
यह रहा सम्मान पाने का मानदंड :
– प्राथमिक विद्यालय : 50 फीसदी से अधिक छात्र संख्या बढ़ी है और न्यूनतम 40 छात्र बढ़ाए हैं।
– माध्यमिक विद्यालय : 50 फीसदी से अधिक छात्र संख्या बढ़ी है तथा न्यूनतम 75 छात्र बढ़ाए हैं।
– उच्च विद्यालय : 40 फीसदी से अधिक छात्र संख्या बढ़ी है तथा न्यूनतम 75 छात्र बढ़ाए हैं।
– वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय : 20 फीसदी से अधिक छात्र संख्या बढ़ी है तथा न्यूनतम 150 छात्र बढ़ाए हैं।
– माडल संस्कृति स्कूल : 50 फीसदी छात्र संख्या बढ़ी है और न्यूनतम 250 छात्र बढ़े हैं।