दक्षिण हरियाणा की महत्वकांक्षी परियोजना ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऍफ़ मेडिकल साइंस का निर्माण माजरा गाँव में ही हो और सरकार जमीन मालिकों को जमीन की एवज में 50 लाख रूपए प्रति एकड़ की राशी दें . इस मांग को एम्स बनाओ संघर्ष समिति ने धरना प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा .संघर्ष समिति सरकार पर अपनी बात से ही मुकरने का आरोप लगा रही है .
रेवाड़ी के नेहरु पार्क में धरना प्रदर्शन करते लोगो की मांग है की माजरा गाँव में ग्रामीणों द्वारा जो एम्स के लिए जमीन दी गई है . उसपर सरकार किसानों को 50 लाख रूपए प्रति एकड़ राशी दें और एम्स का निर्माण शुरू करें .. आपको बता दें की पहली बार 2015 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मनेठी में एम्स बनाये जाने की घोषणा की थी ..वर्ष 2018 तक भी घोषणा पर कोई काम नहीं हुआ तो ..मनेठी में इलाके के लोगों ने करीबन 3 महीने धरना प्रदर्शन किया था . फिर लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री द्वारा मनेठी में एम्स बनाये की घोषणा की गई. और चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा भी मिला .. फिर विधानसभा चुनाव से पहले सबंधित जमीन को फारेस्ट की जमीन बताकर फारेस्ट एडवयाजरी कमेठी ने मनेठी में एम्स के लिए दी गई जमीन पर आपत्ति जता दी थी. और सरकार ने गेंद स्थानीय लोगों के पाले में फेंक कर कहा था की इलाके के लोग जमीन उपलब्ध कराये, सरकार एम्स बनाने को तैयार है. सरकार की तरह से ई भूमि पोर्टल खोलकर किसानों से कहा गया की वो स्वयं जमीन के दस्तावेज अपलोड करें . और मनेठी और माजरा गाँव के लोगों ने करीबन साढ़े चार सो एकड़ जमीन के दस्तावेज भी अपलोड किये थे .
जिसके बाद माजरा गाँव की तरफ से दी गई करीबन साढ़े तीन सो एकड़ जमीन का अवलोकन करने केन्द्रीय टीम माजरा गाँव भी पहुँची और फिजिबलटी को चैक किया गया. यहाँ उम्मीद जगी थी की अब जल्द एम्स का निर्माण शुरू हो जाएगा . लेकिन ग्रामीणों ने कहा की सरकार ने 50 लाख रूपए प्रति एकड़ की हिसाब से किसानों को राशी देने की बात कहीं थी ..लेकिन अब सरकार सर्किल रेट के आलावा 5 लाख रूपए उपर देने को बोल रही है ..यानि सरकार करीबन 30 लाख प्रति एकड़ देकर जमीन लेना चाहती है और किसान 50 लाख रूपए की मांग कर रहे है . किसानों द्वारा अपनी मांग पर अड़ जाने पर गुरूवार को जिलाधीश ने रेवाड़ी के ही मसानी स्थित जमीन का एम्स निर्माण विकल्प के तौर पर जायजा लिया था. और कहा था की सरकार की प्राथमिकता तो माजरा गाँव में एम्स बनाने की है लेकिन जमीन नहीं मिलती है तो मसानी की जमीन को विकल्प के तौर पर पेश किया जायेगा .
आज नेहरु पार्क में धरना प्रदर्शन कर एम्स बनाओ संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा और कहा की जब नागल चौधरी में किसानों को सर्कल रेट से दुगना मुआवजा दिया जा सकता है तो रेवाड़ी के किसानों को क्यों नहीं .. रेवाड़ी में एम्स के लिए जमीन दिए जाने पर मुख्यमंत्री ने स्वयं 50 लाख रूपए तक मुआवाज देने की बात कहीं थी . लेकिन अब सरकार अपनी बात से मुकर रही है और राजनीति कर रही है . मसानी में एम्स के लिए विकल्प के दौर पर जमीन देखकर भी सरकार दबाव की राजनीती कर रही है . स्थानीय लोगों का कहना है की सरकार की ये ओछी राजनीति वो बर्दास्त नहीं करेंगे और अगर 5 दिसम्बर तक सरकार कुछ नहीं करती है और छह दिसम्बर को पंचायत बुलाकर फिर से आन्दोलन किया जाएगा .