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चीनी मिलों के कचरे से बनने वाले पोटाश पर तय की सब्सिडी

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चीनी मिलों के कचरे से बनने वाले पोटाश पर तय की सब्सिडी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कचरे से धन (Waste to Wealth) की परिकल्पना लगातार देश के सामने रख रहे हैं. इसी कड़ी में पीएम मोदी 4R की बात कहते हैं. ये चार आर Reduce, Reuse, Recycle और Repurpose हैं. उनकी इस परिकल्पना को साकार करने की कड़ी में केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्रालय ने एक अहम कदम उठाते हुए फैसला किया है कि अब चीनी मिलों के अपशिष्ट (Waste) से बनने वाले पोटाश पर सब्सिडी दी जाएगी. उर्वरक मंत्रालय के सूत्रों का दावा है कि केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने ऐसा करने के लिए पिछले कुछ दिनों से लगातार प्रयास किए और अब उनकी यह कोशिश रंग लाई है.

गन्ने की पेराई करने के बाद दो उत्पाद बनते हैं. गन्ने के रस एक तरफ तो चीनी बनता है. वहीं दूसरी तरफ गन्ने के रस से इथेनॉल का उत्पादन भी किया जाता है. इथेनॉल बनने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद लाल रंग का एक गाढ़ा द्रव्य बनता है. यह एक तरह का प्रदूषक है. इसके सुरक्षित निपटान की कोई प्रक्रिया अब तक नहीं तलाशी जा सकी है. इस समस्या से निपटने के लिए पिछले तीन सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर इस प्रदूषक लाल द्रव्य के निपटान (Incineration) पर सब्सिडी दिए जाने की शुरुआत हुई है.

यह पोटाश प्राकृतिक स्रोत से बनने की वजह से पूरी तरह से जैविक होगा. इससे देश में जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ाने की मोदी सरकार की कोशिशों को मजबूती मिलेगी. उर्वरक क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि मोलासेस से बनने वाला पोटाश मिट्टी की बेहतर सेहत भी सुनिश्चित करेगा.

इस लाल गाढ़े प्रदूषक द्रव्य से संबंधित इन समस्याओं को देखते हुए रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की नई पहल, नई उम्मीदों को जगाने वाला है. अब मोदी सरकार ने निर्णय लिया है कि इस द्रव्य के जरिए बन रहे पोटाश पर भी सब्सिडी दी जाएगी। मोलासेस (Molasses) से बनने वाला यह नया पोटाश पूरी तरह से जैविक होगा. क्योंकि, इसके उत्पादन में किसी रसायन का इस्तेमाल नहीं हो रहा बल्कि प्राकृतिक स्रोत गन्ने से इसका उत्पादन होता है.

गन्ना मिलों के साथ किसानों की आय बढ़ेगी

गन्ना मिलों की जब आय बढ़ेगी तो इसका लाभ किसानों को भी होगा. ये मिल किसानों से पहले के मुकाबले बेहतर मूल्य पर गन्ना खरीद पाएंगे. साथ ही जब इन मिलों की आय बढ़ेगी तो ये किसानों को समय पर भुगतान भी कर पाएंगे. इससे किसानों को दूसरा फायदा यह होगा कि उन्हें सस्ता पोटाश मिल पाएगा. इससे कृषि में उनकी लागत कम होगी. इसका मतलब यह हुआ कि किसानों को लागत के स्तर पर और गन्ना की बेहतर कीमत के स्तर पर यानी दो तरह से आर्थिक लाभ होगा. इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में प्रगति होगी.