रैपिड रीजनल ट्रांजिट सिस्टम की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर केंद्र सरकार की मुहर लगने से पहले कॉरिडोर का निर्धारित रूट पूरी तरह रुकावट रहित होगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल व अन्य नेताओं के दबाव के बाद अब संबंधित अधिकारी सक्रिय हो गए हैं।
आरआरटीएस की परिकल्पना को साकार रूप देने के लिए गठित एनसीआरटीसी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम) ने वन एवं पर्यावरण से संबंधित जरूरी औपचारिकताएं पूरी करवानी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में दिल्ली के बाद अब गुरुग्राम व रेवाड़ी जिले से गुजरने वाले कारिडोर के मार्ग में आने वाली लगभग 22 हेक्टेयर ऐसी जमीन चिह्नित की गई है, जो इस समय वानिकी क्षेत्र में शामिल है।
आरआरटीएस कॉरिडोर की डीपीआर दो वर्ष से भी अधिक समय से केंद्र सरकार के पास अटकी है। हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान सहित सभी संबंधित राज्यों की स्वीकृति के बाद एनसीआरटीसी ने डीपीआर को केंद्र की स्वीकृति के लिए भेजा था। एनसीआरटीसी में उन सभी राज्यों की भागीदारी है, जहां से कॉरिडोर गुजरना है।
डीपीआर की स्वीकृति में हो रही देरी का मुद्दा दैनिक जागरण में उठने के कुछ समय बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह संबंधित केंद्रीय मंत्रियों से मिल चुके हैं। अब अधिकारी तेजी दिखाने लगे हैं। उन्हें केंद्र सरकार किसी भी समय डीपीआर को स्वीकृति दे सकती है। तीन दिन पूर्व वन विभाग के अधिकारियों ने रेवाड़ी जिले की 8.4 व गुरुग्राम की 13.4 हेक्टेयर जमीन चिह्नित करके रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी है।
राजस्व रिकार्ड में यह फोरेस्ट लैंड (वन क्षेत्र) जल्दी ही गैर वानिकी हो जाएगी। पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं को जल्दी दूर किया जाएगा। पर्यावरण मंत्रलय भूपेंद्र यादव के पास होने से समस्याओं के समाधान की उम्मीद है, क्योंकि हरियाणा यादव का गृह राज्य व राजस्थान कर्मभूमि है।
मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा का कहना है कि हरियाणा में दो कारिडोर प्रस्तावित हैं। दिल्ली-पानीपत कारिडोर को हम करनाल तक बढ़वा रहे हैं। इसकी संशोधित डीपीआर को भी एक साथ स्वीकृति दिलवाने का प्रयास है। दिल्ली-गुरुग्राम-रेवाड़ी-अलवर कॉरिडोर प्रथम चरण में एसएनबी (शाहजहांपुर-नीमराणा-बहरोड़) तक बनना है। हम दोनों कॉरिडोर की ठोस पैरवी कर रहे हैं। हमारे अधिकारी जुटे हुए हैं। जल्दी ही अच्छे परिणाम की उम्मीद की जानी चाहिए।