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रेवाड़ी बना 24 घंटे में जन्म प्रमाण पत्र सेवा उपलब्ध करानेवाला पहला जिला

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डीसी यशेंद्र सिंह ने तत्परता से शुरू की गई इस सेवा पर स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों की कार्यशैली को सराहनीय बताया है। डीसी ने कहा कि हरियाणा में रेवाड़ी जिला प्रशासन की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस सेवा का आगाज किया गया है जिसका लाभ अभिभावकों को तुरंत प्रभाव से जन्म प्रमाण पत्र के रूप में दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिला रेवाड़ी में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के अलावा निजी अस्पतालों में होने वाली संस्थागत डिलीवरी के तहत नवजात शिशु के जन्म के 24 घंटे के अंतराल में ही जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
 

 

संस्थागत डिलीवरी पर तत्परता से उपलब्ध कराया जा रहा है जन्म प्रमाण पत्र :
डीसी ने कहा कि रेवाड़ी जिला में संस्थागत डिलीवरी के मामलों में शिशु जन्म के 24 घंटे में ही निर्धारित प्रक्रिया को पूरा करते हुए जन्म प्रमाण पत्र प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रयास किए जा रहे हैं कि अभिभावकों को निर्धारित समय अवधि से पूर्व ही रेवाड़ी जिला में कम अंतराल के दौरान नवजात शिशु के जन्म प्रमाण पत्र का वितरण डिलीवरी होने के 24 घंटे में ही अभिभावकों को दिया जा रहा है।

 

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डीसी की सकारात्मक सोच से हुई सार्थक पहल : डा.अशोक
जन्म-मृत्यु पंजीकरण के नोडल अधिकारी एवं उप सिविल सर्जन डा. अशोक कुमार ने बताया कि डीसी यशेंद्र सिंह की सकारात्मक सोच के फलीभूत रेवाड़ी जिला में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 24 घंटे में जन्म प्रमाण पत्र वितरण की सार्थक पहल की गई है। जबकि प्रदेश भर में सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत 21 दिन में जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने की योजना है। उन्होंने बताया कि जिला रेवाड़ी में पीएचसी भाड़ावास, फतेहपुरी, संगवाड़ी, बासदूधा, बव्वा, कसौला, मीरपुर, जाटूसाना, नाहड़ सहित विभिन्न निजी अस्पतालों में बच्चे के जन्म के 24 घंटे के अंदर-अंदर जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

 

रेवाड़ी डीसी

आधार कार्ड या अन्य आईडी प्रूफ में दर्ज नाम अनुसार ही नाम दर्ज करवाएं : नोडल अधिकारी
जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र के नोडल अधिकारी डा.अशोक कुमार ने बताया कि जिस अस्पताल क्षेत्र में बच्चे का जन्म या किसी की मृत्यु होती है तो उसी क्षेत्र में उसका नाम दर्ज कराया जाता है। उन्होंने बताया कि आधार कार्ड या अन्य आईडी प्रूफ में दर्ज नाम अनुसार ही नाम दर्ज करवाएं ताकि भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

उन्होंने बताया कि नाम, पता, तिथि, स्थान आदि ठीक से लिखें ताकि प्रमाण पत्र में सभी आंकड़े सही से दर्ज किए जा सकें। उन्होंने बताया कि 21 दिन तक नाम निशुल्क दर्ज किया जाता है तथा 22वें दिन से 30वें दिन तक 25 रुपए विलंब शुल्क लगता है तथा इससे भी लेट होने पर नाम दर्ज करवाने के लिए काफी दस्तावेज एकत्रित करने पड़ते हैं। उन्होंने आह्वान किया कि अभिभावक 21 दिन के अंदर-अंदर नाम दर्ज कराना सुनिश्चित करें ताकि उन्हें बाद में परेशानी न आए। उन्होंने अस्पताल संचालकों से अपील की है कि वे बिना किसी कटिंग के रिपोर्ट समय पर दर्ज करवाएं ताकि प्रमाण पत्र निर्धारित अवधि में प्रदान किया जा सके।