नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डा. आशिमा सक्सेना ने बताया कि साइनस नाक में होने वाला एक रोग है. इस रोग में नाक की हड्डी भी बढ़ जाती है या तिरछी हो जाती है. जिसकी वजह से सांस लेने में परेशानी होती है. जो व्यक्ति इस रोग से ग्रसित होता है उसे ठण्डी हवा, धूल, धुआं आदि में परेशानी महसूस होती है उन्होंने बताया है कि इस बीमारी का मुख्य कारण झिल्ली में सूजन का आ जाना, साथ ही यह सूजन भी निम्न कारणों से आ सकती है बैक्टीरिया, फंगल संक्रमण, या फिर नाक की हड्डी का ढ़ेडा होना.
इन लक्षणों से बीमारी की पहचान :
कुछ ऐसे लक्षण होते है जिससे कि इस बीमारी को आसानी से पहचान सकते हैं, सिर का दर्द होना, बुखार रहना, नाक से कफ निकलना और बहना, खांसी या कफ जमना, दांत में दर्द रहना, नाक से सफेद हरा या फिर पीला कफ निकलना, चेहरे पर सूजन का आ जाना, कोई गंध न आना. साइनस की जगह दबाने पर दर्द का होना आदि इसके लक्षण हैं. आम तौर पर ये गंभीर बीमारी नहीं है लेकिन समय रहते इसका इलाज नही कराया गया तो मरीज को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
डा. आशिमा सक्सेना ने बताया कि इस बीमारी से पीड़ित मरीज को घबराने की जरूरत नही है. आज कल इसका ऑपरेशन दूरबीन विधि से या फिर नाक की इंडोस्कोपिक साइनस सर्जरी से करा सकते हैं. जिसके लिए आप अच्छे ENTडॉ से परामर्श जरुर लें . वहीँ रेवाड़ी के बावल रोड़ स्थित श्री अश्विनी सक्सेना अस्पताल में कान , नाक और गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर्स से परामर्श लिया जा सकता है.
बचाव के लिए ये उपाय जरुरी
साइनस से ग्रसित व्यक्तियों को धुंए और धूल से बचना चाहिए. साथ ही साथ आप ऊबलते हुए पानी की भाप या सिकाई भी कर सकते हैं. इस दौरान पंखा और कूलर भी बंद कर लें. अगर समय रहते इसका इलाज नहीं कराया गया तो बाद में अस्थमा और दमा जैसे कई गंभीर रोग भी हो सकते हैं.