ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के आह्वान पर रेलवे के निजीकरण के विरोध में चलाए जा रहे जन संपर्क सप्ताह के तहत नोर्थ वैस्टर्न रेलवे एम्पलाइज यूनियन के बैनर तले रेलवे स्टेशन पर जोरदार प्रदर्शन किया गया। इस दौरान रेलवे कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ जोरदार
नारेबाजी की। प्रदर्शन से पूर्व सभी ने काली पट्टी बांधकर निजीकरण के खिलाफ ट्विटर पर ट्विट किया और नारेबाजी करते हुए अपना रोष जाहिर किया।
नारेबाजी की। प्रदर्शन से पूर्व सभी ने काली पट्टी बांधकर निजीकरण के खिलाफ ट्विटर पर ट्विट किया और नारेबाजी करते हुए अपना रोष जाहिर किया।
इस मौके पर कर्मचारियों को संबोधित करते एनडब्ल्युआरईयू सहायक मंडल मंत्री बिकानेर डिवीजन का. देवेंद्र सिंह यादव ने कहा कि इस समय न सिर्फ रेल कर्मचाही ही नहीं बल्कि भारतीय रेल भी गंभीर संकट में है। इसे बचाने के लिए प्रत्येक कामरेड को सडक़ पर उतरना ही होगा। केंद्र
सरकार का रवैया न सिर्फ कर्मचारी विरोधी है, बल्कि वो रेलयात्रियों के साथ भी धोखा कर रही है और यही बात आज आम आदमी को समझाने की जरूरत है।
सरकार का रवैया न सिर्फ कर्मचारी विरोधी है, बल्कि वो रेलयात्रियों के साथ भी धोखा कर रही है और यही बात आज आम आदमी को समझाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि ये समय कोरोना से डर कर घर में बैठ जाने का नहीं, बल्कि कर्मचारियों और आम रेलयात्रियों के बीच सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के खिलाफ अलख जगाने का है। आज भारतीय रेल के सामने निजीकरण और निगमीकरण की गंभीर चुनौती है। इसलिए मंडल के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। यूनियन के काम को गति देने के मकसद से संगठन केवल कुछ लोगों से नहीं चल सकता, इसमें सामूहिक नेतृत्व जरूरी है।
सहायक मंडल
मंत्री ने कहा कि जो दौर चल रहा है, उसमें कारखानों की मुश्किल कम नहीं है। सरकार की कोशिश है कि उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण करने के साथ ही उसके करीब कारखानों को उसी उत्पादन इकाई से संबद्ध कर दिया जाए। सरकार सोचती है कि अगर कारखानों को कर्मचारियों ने विरोध में कुछ दिन बंद भी रखा तो इससे क्या फर्क पडऩे वाला है। मंत्री ने कहा कि सरकार को नहीं पता है कि सिर्फ कारखाने बंद नहीं होगे, बल्कि उसके आसपास से गुजरने वाली सभी ट्रेने भी पूरी तरह ठप हो जाएंगी।
मंत्री ने कहा कि जो दौर चल रहा है, उसमें कारखानों की मुश्किल कम नहीं है। सरकार की कोशिश है कि उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण करने के साथ ही उसके करीब कारखानों को उसी उत्पादन इकाई से संबद्ध कर दिया जाए। सरकार सोचती है कि अगर कारखानों को कर्मचारियों ने विरोध में कुछ दिन बंद भी रखा तो इससे क्या फर्क पडऩे वाला है। मंत्री ने कहा कि सरकार को नहीं पता है कि सिर्फ कारखाने बंद नहीं होगे, बल्कि उसके आसपास से गुजरने वाली सभी ट्रेने भी पूरी तरह ठप हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि जो हालात है, उससे निपटने के लिए हमें अभी से तैयार हो जाने की जरूरत है। ये जिम्मेदारी खासतौर पर युवाओं और महिलाओं को निभानी होगी। पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग से संगठन पीछे हटने वाला नहीं है।
संसद में श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर नया बिल लाने की तैयारी है, इसके तहत 50 फीसदी वोट पाना जरूरी होगा। इसके लिए भी मेहनत करने की जरूरत है। प्रदर्शन से पूर्व सभी लोगों ने
निजीकरण के खिलाफ ट्विटर पर ट्विट किया और नारेबाजी भी की।
संसद में श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर नया बिल लाने की तैयारी है, इसके तहत 50 फीसदी वोट पाना जरूरी होगा। इसके लिए भी मेहनत करने की जरूरत है। प्रदर्शन से पूर्व सभी लोगों ने
निजीकरण के खिलाफ ट्विटर पर ट्विट किया और नारेबाजी भी की।
सहायक शाखा सचिव भूप सिंह, यातायात निरीक्षक सत्यवान लांबा, सीएचआई बोटन सिंह, सीएलआई रामदेव, सीएलएस राजेश यादव, रमेश, जितेंद्र यादव, प्रमोद सैनी, रतनलाल, नरेश कुमार यादव, अमित यादव, रामचंद्र, नरपत मीणा, ईश्वर सिंह, गोविंद्र सिंह, मोतीलाल, एके वरुण, मनोज अरोड़ा, मनीष, प्रदीप, सत्यनारायण, दिनेश, उदेश, पंकज, नेकवर्धन, महेंद्र शर्मा, ताराचंद, रामफूल, शाहिद अली, बृजमोहन समेत समस्त लोको पायलट, गार्ड, ट्रैफिक समेत काफी संख्या में रेल कर्मचारी मौजूद थे।