रेवाड़ी। कोरोना महामारी की मार के बाद अब जिले में ब्लैक फंगस से पहली मौत का मामला सामने आया है। तीमारदारों को ब्लैक फंगस से ज्यादा सिस्टम दर्द दे रहा है। उपचार तो दूर परिजनों को भर्ती कराने के लिए सात-सात दिन तक चक्कर काटने पड़ रहे हैं, उपचार के लिए लोगों को डीसी से लेकर सीएम तक शिकायत करनी पड़ रही है। लेकिन तमाम प्रयासों के बीच सरकारी सिस्टम से लड़ते हुए अपनों को को खोने वालों का दर्द खुद वही समझ सकते हैं।
बता दें कि 26 मई को पीजीआई में ब्लैक फंगस के उपचार के दौरान सर्जरी कराने से पहले ही करीब 52 वर्षीय सुंदरोज निवासी की मौत के बाद जिले में इस बीमारी से पहली जान गई है। वहीं शुक्रवार को एक संदिग्ध मरीज के साथ ब्लैक फंगस के मरीजों का आंकड़ा रेवाड़ी में 20 पर पहुंचा गया है।
23 को किया रेफर, 26 को पीजीआई में मौत
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 23 मई को गांव सुंदरोज निवासी ब्लैक फंगस का 13वां संदिग्ध मरीज आया था। उसे गुरुग्राम के चंदु बुडेढ़ा एसजीटी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था, लेकिन मरीज उसको पीजीआई लेकर गए थे। पीजीआई में ही उसका उपचार चल रहा था। 26 मई को मरीज ने पीजीआई रोहतक में दम तोड़ दिया। रेवाड़ी स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी शुक्रवार को दी। बता दें कि यह मरीज 10 मई को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, इसके बाद उनको उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। जांच के दौरान ब्लैक फंगस की शिकायत के बाद 23 को पीजीआई में भर्ती किया गया था, लेकिन 26 को उनका सुबह 6 बजे निधन हो गया। इस मरीज के तीमारदारों की ओर से सोशल मीडिया पर भी सीएम तक शिकायत की गई है।
16 से लेकर 22 तक मरीज कार में काटता रहा चक्कर
गांव खोरी निवासी 43 वर्षीय राजेंद्र मजदूरी कर परिवार चला रहा था। इसी दौरान 15 मई को पॉजिटिव आने के बाद 16 को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां ब्लैक फंगस की शिकायत बताकर गुरुग्राम के पीजीआई चंदु बुड़ेढा एसजीटी रेफर कर दिए गए। बतौर मरीज की बहन अनीता के अनुसार एसजीटी में डेढ़ लाख रुपये जमा कराने के लिए कहा। ऐसे में मरीज को रात करीब साढ़े आठ बजे नागरिक अस्पताल में लेकर आए गए। यहां पर चिकित्सकों ने एमआरआई कराने के लिए कहा, एमआरआई कराई तो डॉक्टर चले गए। अगले दिन 17 को पूरा दिन चक्कर काटते रहे, फिर सिटी स्कैन के लिए कहा। नागरिक अस्पताल ने उसे दोबारा एसजीटी रेफर कर दिया, वहां पर फिर डेढ़ लाख रुपये मांगे। परिजन मरीज को अपने घर ले आए, कुछ लोगों के दखल के बाद 21 को एंबुलेंस मरीज को लेने खोरी पहुंची। एंबुलेंस के माध्यम से 22 को झज्जर रेफर किया, लेकिन वहां से उसे पीजीआई में रेफर कर दिया गया। ऐसे में मरीज को भर्ती कराने में 23 मई तक का समय लग गया।
आंखों की जा रही रोशनी नहीं हो रही सर्जरी
बतौर मरीज की बहन अनीता ने कहा कि चिकित्सकों की ओर से हर रोज कहा जाता है कि कल सर्जरी होगी, लेकिन नहीं हो पाई है। बुधवार की रात को जांच कराई लेकिन अब तक सर्जरी नहीं हुई है। जबकि प्रत्येक दिन आंखों की रोशनी कम होती जा रही है। ऐसे में सिस्टम मरहम लगाने की बजाय दर्द दे रहा है।
वर्जन
मरीज को 23 मई को ही एसजीटी रेफर कर दिया गया था। परिजन उनको पीजीआई लेकर गए थे। उनका 26 मई की सुबह निधन हो गया है। रेवाड़ी में यह ब्लैक फंगस से पहली मौत है। खोरी वाले मरीज को भी आते ही रेफर कर दिया गया था। हमारी तरफ से कोई ढील नहीं हुई है, सरकार की ओर से चिन्हित अस्पतालों में मरीजों को रेफर किया जाता है।
– डॉ. विशाल राव, नोडल अधिकारी, ब्लैक फंगस
स्रोत – अमर उजाला