जिला उपायुक्त अशोक गर्ग ने कहा कि शहर में काफी जगह रीडिंग रूम चल रहे है. जिन्हें हम लाईब्रेरी समझ रहे है. जहाँ पढने के लिए बच्चा एक मासिक फ़ीस भी देता है और कई किलीमीटर चलकर भी आता है. इसलिए जिला प्रशासन की सोच है कि ऐसे बच्चों को उनके गाँव के स्कूल में ही पढ़ने के लिए अच्छा माहौल दिया जाएगा.
प्रशासन की सोच है कि गाँव में पढ़े-लिखे युवा या बुजुर्ग जो भी बच्चों को सेवा भाव से पढ़ाने के लिए अपनी इच्छा से आगे आते आना चाहते है वो इस नेक कार्य में सहयोग भी करें. ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा के अभाव में पिछड़े ना.
यहाँ आपको बता दें कि करीबन एक साल पहले बावल क्षेत्र के गाँव खेडा मुरार में ग्रामीणों ने पैसे एकत्रित करके गाँव के मंदिर भवन में एक लाइब्रेरी बनाई थी. ताकि बच्चे वहां बैठकर पढ़ाई कर सकें. उस समय डीएसपी ने ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया था.
इसलिए उस गाँव के ग्रामीणों ने एक अच्छी शुरुआत की थी और अब रेवाड़ी जिला उपायुक्त भी शिक्षा के क्षेत्र में एक अच्छा प्रयास कर रहे है. इसलिए समाजहित में काम करने वाले शिक्षा की इस मुहीम को आगे बढ़ाने के लिए आगे आयें.