15 अगस्त आजादी के पर्व से पहले इमारतों . वाहनों और लोगों के हाथों में जगह-जगह तिरंगा देखा जा सकता है. ऐसे में जरुरी है कि गलती से भी कहीं तिरंगे का निरादर ना हो. इसलिए आपके लिए ये जानना बेहद जरुरी है कि तिरंगा फहराने के क्या नियम है. भारत सरकार की तरफ से Flag Code of India यानी भारतीय झंडा सहिंता बनाई गई है. जिसका हर किसी को पालन करना अनिवार्य है.
झन्डा फहराने के क्या नियम है और कहाँ-कहाँ कैसे झंडे को फहराया जा सकता है उसकी जानकारी भी हम आपको देंगे लेकिन उससे पहले आप जान लें कि हर घर तिरंगा अभियान के तहत तिरंगा फहराने को लेकर नियमों में हाल में ही कुछ बदलाव किये गए है. जिन बदलाव के मुताबिक अब भारतीय झंडा संहिता, 2002 के भाग-दो के पैरा 2.2 के खंड (11) को अब इस तरह पढ़ा जाएगा, ‘जहां झंडा खुले में प्रदर्शित किया जाता है या किसी नागरिक के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, इसे दिन-रात फहराया जा सकता है।’ इससे पहले, तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी।
इसी तरह, झंडा संहिता के एक अन्य प्रावधान में बदलाव करते हुए कहा गया कि राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काता और हाथ से बुना हुआ या मशीन से बना होगा। यह कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/ रेशमी खादी से बना होगा। इससे पहले, मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग की अनुमति नहीं थी।
वहीँ झंडा फहराने के अन्य नियमों की बात करें तो उसकी पूरी जानकारी आपकी भारत सरकार की साईट पर दिए गए भारतीय झंडा संहिता 2002 में दी गई जानकारी को पढ़ सकते है. राष्ट्रीय झंडे का आकार आयताकार होगा। झंडे की लंबाई और ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3: 2 होगा।
राष्ट्रीय झंडे पर तीन अलग-अलग रंगों की पट्टियां होंगी जो समान चौड़ाई वाली तीन आयताकार पट्टियां होंगी। सबसे ऊपर भारतीय केसरी रंग की पट्टी होगी और सबसे नीचे भारतीय हरे रंग की पट्टी होगी। बीच की पट्टी सफेद रंग की होगी जिसके बीचों बीच बराबर की दूरी पर नेवी ब्लू रंग में 24 धारियों वाला अशोक चक्र बना होगा। बेहतर होगा यदि अशोक चक्र स्क्रीन से प्रिंट किया हुआ या अन्यथा छपा हुआ या स्टॅसिल किया हुआ या उचित रूप से कढ़ाई किया हुआ हो जो सफेद पट्टी के बीच में झंडे के दोनों ओर से स्पष्ट दिखाई देता हो।
झन्डा संहिता में झंडे का साइज से लेकर झंडा फहराने तक सभी जानकारी दी गई है लेकिन मोटे –मोटे तौर पर समझे तो कहीं भी झंडे का निरादर नहीं होना चाहिए. यानी झंडा साफ़ और अच्छा होना चाहिए. झंडे को सीधा फहराना चाहिए. तिरंगे झंडे के समकक्ष या ऊपर दूसरा कोई झंडा नहीं होना चाहिए. किसी भी ऐसे कार्य में झंडे का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए जिससे की झंडे का निरादर हो. भारतीय झन्डा संहिता में सांस्कृतिक कार्यक्रम. खेल खुद प्रतियोगिता में हाथ से झंडे को हिलाने की अनुमति है. साथ ही उसके लिए भी अलग से एड्वाजारी जारी की गई है. झंडे के किसी हिस्से का नुकसान होने पर निपटान एकांत जगह पर किया जाना चाहिए. जरुरी है कि सभी नागरिक एक बार झंडा संहिता को भी जरुर पढ़ लें.