डीसी यशेंद्र सिंह ने बताया कि यह तकनीक बहुत ही कारगर एवं इससे लागत भी कम आती है। उन्बहोंने बताया कि जिले में पहली बार सरसों की कटाई उपरान्त खेत में बिना जुताई किए इस तकनीक द्वारा मूंग की बिजाई की गई, जिसमें कतार से कतार की दूरी 22 सेंटीमीटर होती है। इस मशीन द्वारा बिजाई के लिए 10 किलोग्राम डीएपी व 10 किलोग्राम मूंग बीज प्रति एकड़ लगता है।
सहायक कृषि अभियन्ता, इंजी0 दिनेश शर्मा ने व कृषि विज्ञान केन्द्र रामपुरा के बताया डा. राजकुमार ने बताया कि ग्रीष्मकालीन मूंग की बिजाई का उत्तम समय 7 मार्च से 7 अप्रैल तक माना गया है। यह फसल 60 दिनों में तैयार हो जाती है। इस तरह से रबी व खरीफ फसल के बीच में मूंग की फसल लेकर किसान आर्थिक फायदा ले सकते हैं। इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ती है।
कृषि विकास अधिकारी (कृषि यन्त्र) इंजीनियर सुनील कुमार ने बताया कि सुपर सीडर द्वारा सीधी बिजाई तकनीक से मूंग की बिजाई करने से किसान की लागत में भी 1500-2000 रूपए की कमी आती है व फसल अवशेष प्रबंधन भी होता है। ग्रीष्मकालीन मूंग की बिजाई करने वाले क्षेत्र के किसानो को चाहिए कि वे सीधी बिजाई तकनीक का प्रयोग करें और इस तकनीकी का लाभ उठाएं।