Fairy Queen: विश्व का सबसे पुराना भाप का इंजन फेयरी क्वीन अगर आप देखना चाहते है तो वो रेवाड़ी के हैरीटेज लोकोशेड में देख सकते है। रेवाड़ी के लोकोशेड में आज भी इस भाप के इंजन को चालू हालात में रखा गया है। वर्ष 1855 में बने इस इंजन को कुछ समय पहले तक दिल्ली से जयपुर के बीच पर्यटकों के लिए चलाया जाता था। लेकिन कुछ समय से ये इंजन रेवाड़ी के लोकोशेड के अंदर खड़ा हुआ है।
गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में फेयरी क्वीन का नाम दर्ज
बता दें कि वर्ष 1998 में गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में फेयरी क्वीन (Fairy Queen) भाप के इंजन का नाम दर्ज हुआ था। प्रमाणित किया गया था कि फेयरी क्वीन विश्व का सबसे पूरा भाप का इंजन है। जो आज भी चालू हालत में है। अगर आप इस भाप के इंजन को देखना चाहते है तो रेवाड़ी जंक्शन के पास रेलवे कॉलोनी में बने हैरीटेज लोकोशेड में इस भाप के इंजन सहित अन्य भाप के इंजनों को देख सकते है। इस जगह आपको रेलवे का म्यूजियम और काफी एक्टिविटी देखने को मिलेगी। रेलवे ने इस स्थान को पर्यटकों के लिए तैयार किया हुआ है। जिसके लिए एक नामात्र टिकट भी लगाई गई है।
फेयरी क्वीन को बनाया गया था वर्ष 1855 में
वहीं फेयरी क्वीन (Fairy Queen) भाप के इंजन के इतिहास की बात करें तो यह इंजन ईस्ट इंडियन रेलवे नंबर 22 के नाम से भी जाना जाता है। जिसे वर्ष 1855 में बनाया गया था। जिसे वर्ष 1909 में बंद कर दिया गया था। जिसके बाद वर्ष 1997 में लोको वर्क्स पेरम्बूर, चेन्नई द्वारा इस दौबरा बहाल किया गया। अब इस इंजन को रेवाड़ी के रेलवे हेरिटेज म्यूजियम में रखा गया है। 1998 में गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में फेयरी क्वीन भाप के इंजन का नाम दर्ज हुआ था। 1999 में इस ट्रेन को राष्ट्रीय परीतान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
1972 में फेयरी क्वीन को विरासत का दर्जा
लोकोमोटिव का निर्माण इंग्लैंड के किट्सन, थॉम्पसन और हेविट्सन द्वारा किया गया था और यह 55 वर्षों से अधिक समय तक यात्री और माल ढुलाई सेवाओं पर काम करता रहा। भारत की अन्य लक्जरी ट्रेनों के विपरीत, फेयरी क्वीन (Fairy Queen) में कुल केवल दो डिब्बे हैं और 50 यात्रियों को ले जाने की क्षमता है। भारत सरकार ने 1972 में फेयरी क्वीन को विरासत का दर्जा दिया और इस इंजन को एक राष्ट्रीय खजाना बना दिया।