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हरियाणा: फसल अवशेष जलाने के मामलों में आई 73 प्रतिशत की कमी, डीकंपोजर कैप्सूल किए गए निःशुल्क प्रदान

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मनोहर लाल ने कहा कि फसल अवशेष जलाने के मामले न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति के लिए भी हानिकारक हैं। इसलिए हमने ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के साथ-साथ किसानों को जागरुक भी किया है। इस सम्बन्ध में हमारे प्रयासों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने भी सराहा है। उनकी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 से अब तक फसल अवशेष जलाने के मामलों में 73 प्रतिशत की कमी आई है।

 

किसानों को डीकंपोजर कैप्सूल निःशुल्क प्रदान किए

पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए हमने किसानों को डीकंपोजर कैप्सूल निःशुल्क प्रदान किए हैं। अब तक 3 लाख 19 हजार 350 एकड़ को डीकंपोजर तकनीक से कवर किया गया है। खरीफ-2022 के दौरान 5 लाख एकड़ भूमि की कवरेज डीकंपोजर से करने का लक्ष्य है। पराली न जलाने और इसके उचित प्रबंधन के लिए पराली की गांठ बनाने पर 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का प्रावधान राज्य सरकार ने किया है।

 

पराली न जलाने पर पंचायत को दी जा रही प्रोत्साहन राशि

फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए उपकरणों पर 50 प्रतिशत तथा कस्टम हायरिंग सेंस को 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है ताकि किसानों को ये अवशेष जलाने न पड़ें। पिछले चार साल में 584 करोड़ रुपये की सब्सिडी के साथ लगभग 73 हजार मशीनें किसानों को दी गई हैं। रेड जोन क्षेत्र में स्थित गांवों में पराली न जलाने पर पंचायत को प्रोत्साहनस्वरूप 10 लाख रुपये तक नकद पुरस्कार दिया जाता है।

 

इसके अलावा, पराली का उपयोग बायोमास संयंत्रों में भी किया जा रहा है। प्रदेश में 9 बायोमास बिजली परियोजनाओं में धान के 5 लाख टन फानों का उपयोग किया जा रहा है। इस साल 2 और ऐसे संयंत्र चालू हो जाएंगे।