विश्व श्रवण दिवस के मौके पर रेवाड़ी के श्री अश्विनी सक्सेना हॉस्पिटल में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया. जिस कार्यक्रम में मुख्य अथिति के तौर पर पहुंचे रेवाड़ी डीसी यशेंद्र सिंह ने कहा कि मनुष्य कान संसार का सबसे संवेदनशील रडार है. कान के बिना जीवन अधूरा है. इसलिए कान को सुरक्षित रखने के लिए जरुरी है कि ध्वनि प्रदुषण ना करें. क्योंकि ध्वनि प्रदुषण हमारे कानों की सुनने की क्षमता को कम कर देता और बेहरापन होने की भी संभवना रहती है.
वर्कशॉप में पहुँचे डिप्टी सिविल सर्जन और इनएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स ने भी कान को सुरक्षित रखने के लिए जरुरी बातें बताई. ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स का कहना है कि नवजात बच्चे की तुरंत सुनने की क्षमता की जाँच करा लेनी चाहिए. अगर बच्चे को सुनाई नहीं देगा तो वो गूंगा ही तह जाएगा क्योंकि सुनने के साथ साथ ही दिमाग में सैल्स बनते है. इसलिए अधिकतम 7 वर्ष से पहले सुनने की क्षमता की जाँच कराकर उपचार जरुर लेना चाहिए.
यहाँ आपको बता दें कि ध्वनि प्रदुषण हॉर्न बजाने और शादी समारोह में असीमित आवाज में डीजे बजाने से सबसे ज्यादा होता है. हॉर्न बजाने से सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदुषण का सामना ट्रेफिक पुलिस कर्मचारियों का होता है. इसलिए आज विश्व श्रवण दिवस के मौके पर डॉक्टर्स के आलावा ट्रेफिक पुलिस के कर्मचारी भी इस वर्कशॉप में शामिल हुए. डॉक्टर्स एसोसिएशन ने ये फैसला लिया है कि 3 मार्च से 10 मार्च तक जागरूकता के साथ- साथ ट्रेफिक पुलिस कर्मचारियों के कान, नाक, गले की जाँच भी की जायेगी.
डॉ सक्सेना ने कहा कि ध्वनि प्रदुषण को रोकने के लिए कानून तो है लेकिन उसका इम्प्लीमेंट नहीं होता. उन्होंने कहा कि वो डॉक्टर्स कुछ सुझाव भी प्रशासन को सौपेंगे जिससे कि ध्वनि प्रदुषण को रोका जा सकें.
इस अवसर पर डा. आरबी यादव, डा. कंवर सिंह, डा. आदेश सक्सेना, डा. एके सैनी, डा. एके रंगा, डा. पवन गोयल, डा. एनके यादव, मित्रा सक्सेना, डा. कविता, डा. मनीष, डा. आशिमा सक्सेना सहित एओआई हरियाणा रेवाड़ी शाखा के ईएनटी विशेषज्ञ उपस्थित रहे।