किसान आन्दोलन के साइड इफेक्ट : रोजाना लगता है लम्बा जाम , जनता बेहाल I
कृषि कानूनों के विरोध में लम्बे समय से किसान संगठन आन्दोलन कर रहे है. ना सरकार बिल वापिस लेने को तैयार है, ना किसान संगठन पीछे हटने को तैयार है . ऐसे में सरकार और किसान संगठन के टकराव का खामियाजा अन्य लोगों को उठाना पड़ रहा है. हालात ये है कि जिस रूट से ट्रेफिक को डाइवर्ट किया हुआ है वहां जाम लगा रहता है . सड़के टूट चुकी है . और यातायात के तबाव के चलते स्थानीय लोगों का जीना भी मुश्किल हो गया है.
ये तस्वीरें रेवाड़ी –शाहंजापुर रोड़ की है. जहाँ आप देख सकते है कि किस कदर सड़क पर वाहनों की कतार लगी है. और ऐसा नहीं है कि केवल ये एक दिन कि तस्वीर है . बल्कि यहाँ ये हालात तब से बने हुए है जब से कि किसान संगठनो ने हाइवे पर ढेरा डाला हुआ है . आपको बता दें कि एनएच 48 यानी दिल्ली- जयपुर- गुजरात हाइवे देश कि लाइफ लाइन कहा जाता है. लेकिन इस लाइफ लाइन का कनेक्शन किसान संगठन के विरोध प्रदर्शन के चलते कटा हुआ है . लिहाजा ट्रेफिक डाइवर्ट किया हुआ है जिसके कारण जनता बेहाल हो रही है . राजस्थान –हरियाणा के शान्हाजपुर बॉर्डर पर किसान संगठन लम्बे समय से बैठे हुए है. यहाँ दिल्ली से जयपुर जाने के लिए केवल एक सार्विस लाइन खुली हुई है. और बाकी पूरी तरह से बंद है . पुलिस ने यातायात को संभालने के लिए ट्रेफिक को रेवाड़ी शहर आने वाले रोड़ पर डाइवर्ट किया हुआ है. कुछ वाहन गांवों के छोटे रास्तों से निकल जाते है और बड़े वाहन शहर के भीतर से होकर निकल रहे है . जिसने वाहन चालकों के साथ –साथ स्थानीय लोगों की भी परेशानी भी बढ़ाई हुई है . ऐसे में किसी को समझ नहीं आ रहा , करें तो क्या करें.
ट्रक चालक कहते है कि रोजाना अलग –अलग काम के चलते दिल्ली जाना पड़ता है . जिसमें फल – सब्जी जैसे जरुरी सेवाएं भी शामिल है . लेकिन दिल्ली के दो घंटे के सफ़र को पूरा कराने के लिए उन्हें रेवाड़ी में ही घंटों जाम में ही फंसा रहना पड़ता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन प्रशासन को इस और ध्यान देकर यातायात के प्रबंधन के लिए कदम उठाने चाहिए , क्योंकि सड़कें टूट चुकी है , ज्यादा ट्रेफिक होने कि वजह से जाम लगा रहता है . धुल मट्टी से लोग परेशान है . और इस रोड़ पर रहने वाले लोग भी शहर आने के लिए काफी मत्थापच्ची करते है .
वहीँ एसडीएम रविन्द्र यादव का कहना है कि सड़क के पेचवर्क का काम किया जा रहा है . ताकि कुछ हद तक लोगों को राहत डी जा सकें .