जानकारी के मुताबिक सेक्टर 4 निवासी ललित ने अपने 4 साल के बेटे भावेश का एडमिशन चैतन्या स्कूल में कराया था। सुबह स्कूल जाने के लिए स्कूल वैन घर के सामने आकार रुकी और ललित की पत्नी ने भावेश को स्कूल जाने के लिए स्कूल वैन में बैठा दिया। जिसके थोड़ी देर बाद चैतन्या स्कूल की वैन भी घर के सामने आकार रुकी। तब ललित की पत्नी को लगा कि उसके बच्चे का अपहरण
पुलिस ने शुरू की जांच
मॉडल टाउन थाना पुलिस ने जांच शुरू की। आसपास के सीसीटीवी फुटेज भी चैक किए गए। जिसके बाद करीबन 3 घंटे बाद पता चला कि धारुहेड़ा चुंगी स्थित किसी नए स्कूल की वैन बच्चे को बैठाकर ले गई। ना अभिभावकों ने इस ओर ध्यान दिया कि बच्चा किस स्कूल की वैन में जा रहा है और ना ही स्कूल वैन चालक ने गौर किया कि वो किस बच्चे को अपने स्कूल में ले जा रहा है।
अभिभावक और स्कूल दोनों की लापरवाही
यहाँ अभिभावक और स्कूल दोनों की तरफ से लापरवाही बरती गई। यहाँ गौर करने वाली बात ये कि दोनों स्कूलों की वैन पर पीला रंग नहीं था। ना ही स्कूल का नाम –नंबर अंकित किया गया था। जबकि नियमों के मुताबिक स्कूल वाहन पीले रंग का होना चाहिए और जरूरी जानकारी वाहन पर अंकित करनी अनिवार्य है।
अभिभावकों को अपने बच्चों की तरफ ध्यान देने की जरूरत
डीएसपी अमित भाटिया ने कहा कि अभिभावकों को अपने बच्चों की तरफ ध्यान देने की जरूरत है। इस मामले में गलती से अभिभावक ने गलत वैन में बच्चे को बैठा दिया था। जिस बच्चे को पुलिस ने रेसक्यू कर लिया है। उन्होने कहा कि पुलिस ऑपरेशन स्माइल के तहत एक हफ्ते में 5 नाबालिग और 3 बालिग बच्चों को तलाशकर परिजनों को सौंप चूंकि है।