कर्मचारियों की मांगे तभी पूरी होगीं, जब भारतीय रेल बचेगी। अगर रेल ही नहीं रहेगी, तो हम अपनी मांगो पर क्या लड़ाई लड़ेगें। इसलिए आज रेल को बचाने के लिए युवाओं को एकजुट होकर बड़े संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि आज रेल का युवा आल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन से जुडक़र खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। बड़ी संख्या में युवा रेल कर्मचारी इससे जुड़े हैं।
भारतीय रेलवे के अस्तित्व पर ही संकट है। जो हालात है, उसमें रेल को बचाने की जिम्मेदारी रेलवे के युवा कर्मचारियों को लेनी होगी। हम अपनी मांगो को लेकर आज भी लड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे, लेकिन आज जरूरत है संगठित होकर रेल को बचाने के लिए एक बड़े संघर्ष की। यादव ने कहा कि हमें युवाओं की ताकत को 14 से 19 सितंबर तक जनसंपर्क अभियान में देखनी है। कर्मचारी हितों से तमाम समस्याओं को लेकर होने वाले कार्यक्रमों को कामयाब बनाने की जिम्मेदारी युवाओं की है। जब भारतीय रेल के कर्मचारी कोरोना महामारी से लड़ रहे थे, उस वक्त सरकार ने डीए और डीआर को फ्रीज कर दिया। तमाम ट्रेनों का संचालन प्राईवेट पार्टनर को देने की तैयारी कर ली। उत्पादन इकाइयों को निगम बनाने की
साजिश शुरु कर दी। रेल के अस्पतालों को खत्म करने की तैयारी है। ऐसे में जरूरी है कि रेल को बचाने के लिए अब सडक़ पर उतरें, बिना लड़े कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है। सहायक मंडल मंत्री ने कहा कि 19 सितंबर को रात आठ बजे से 8.10 तक सभी रेलकालोनियों में अंधेरा यानि ब्लैक आउट करें, जिससे सरकार के पास सख्त संदेश पहुंचाया जा सके।